पिछले 14 घंटे में , यानी रात 12 बजे से ले के दोपहर 2 बजे तक BRD Medical College में 14 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है ।
अब तो ऑक्सीजन भी है ........
पक्ष विपक्ष , सरकार , मीडिया सब वहीं Camp किये हैं ........ अस्पताल का पूरा प्रशासन , जिला प्रशासन , राज्य सरकार ....... सब कोई चाक चौबंद हैं .........
फिर भी बच्चे मर रहे हैं ?????
क्या अब भी ऑक्सीजन की ही कमी है ? या समस्या कुछ और है ?
***
समस्या की जड़ में जाने के लिए किसी गांव में घूम आइये ।
धान का season है । चारों ओर खेतों में पानी लगा है । इसी season में धान के खेतों में Encephilitis का मच्छर पैदा होता है । वो मच्छर यदि पहले किसी सूअर को काट ले और उसके बाद किसी मनुष्य को काटे तो उसे ये JE मने जापानी encephilitis होता है । बड़े लोग और किशोर तो इसकी मार झेल जाते हैं पर chhote बच्चों और नवजात शिशुओं में ये घातक होता है ।
तुरंत Diagnose कर प्रारंभिक अवस्था मे ही यदि इलाज शुरू हो जाये तो रोगी ठीक हो जाता है ।
गांव में समस्या ये है कि पहले एक दो दिन तो मरीज के परिजनों को पता ही नही चलता कि उनका बच्चा बीमार है ।
जब बुखार तेज़ हो जाता है तो local quack मने झोला छाप Dr के पास ले जाते हैं । एक दो दिन उसके चक्कर मे खराब हो जाते हैं । तब तक बच्चा मरणासन्न हो जाता है तो लोग ले के PHC पहुंचते हैं ........ वहां से Dr उसे Referral hospital यानी BRD medical College refer कर देते हैं ।
यहां तक आते आते बच्चा Critically ill होता है ....... बहुत बहुत बीमार ......
इसीलिए BRD जैसे hospitals में मृत्यु दर इतनी ज्यादा है । कोई झोला छाप या private अस्पताल अपने यहां मरीज को मरने नही देना चाहता । कुछ दिन पैसा बना के case खराब करके चलो referral hospital ......... और referral हॉस्पिटल बेचारा तो किसी को refuse कर ही नही सकता ........ उसको तो सबको लेना ही है , चाहे कितना ही बीमार मरणासन्न क्यों न हो ?
BRD में पूर्वांचल के 10 जिले , बिहार के 10 जिले और नेपाल की तराई से मरीज आते हैं । जिनमे सबसे ज़्यादा प्रकोप नेपाल की तराई वाली paddy belt में है ।
ऐसे में आप सिर्फ med School के doctors को ही दोषी नही ठहरा सकते ।
पूरी व्यवस्था ही दोषी है । बेशक इसमे भयंकर भ्रष्टाचार भी एक पहलू है , पर अन्य systematic failures भी हैं ।
गांव में घूम के देखिये , झोला छाप डॉक्टर को आप यूँ ही नही भगा सकते । अगर वो न रहें तो आपकी पूरी स्वास्थ्य सेवा ही भहरा के बैठ जाएगी ।
फिर आखिर इसका हल क्या है ?
इसका हल China ने निकाला है । उन्होंने अपने ग्रामीण इलाकों में झोला छाप डॉक्टरों को एक basic ट्रेनिंग दे के तैयार किया ....... कुछ basic समस्याओं में यदि ये ये लक्षण हों तो ये ये दवा दे दो , ये ये जांच कर लो और इतने घंटे observe करो ....... अगर स्थिति बिगड़े और ये ये लक्षण प्रकट हों तो तुरंत एम्बुलेंस बुला के अपने इलाके के फलाने हॉस्पिटल में भेज दो .........
भारत को भी JE जैसी बीमारियों से निपटने के लिए अपने झोला छाप डॉक्टरों को ही तैयार करना पड़ेगा जिस से वो बीमारी की प्रारंभिक अवस्था मे ही बीमारी को पहचान के मरीज को सही जगह वही अस्पताल तक भेज दें ।
झोला छाप डॉक्टर को स्वास्थ्य मित्र बनाओ और अपने इलाके की स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेवार बनाओ ।
ओम प्रकाश वर्मा
अध्यक्ष टाइगर क्लब
बदला चौराहा श्रावस्ती
OM PRAKASH BHAI VERMA ,(O.P.BHAI)
PRESIDENT TIGER CLUB
9919310031
7233917570
अब तो ऑक्सीजन भी है ........
पक्ष विपक्ष , सरकार , मीडिया सब वहीं Camp किये हैं ........ अस्पताल का पूरा प्रशासन , जिला प्रशासन , राज्य सरकार ....... सब कोई चाक चौबंद हैं .........
फिर भी बच्चे मर रहे हैं ?????
क्या अब भी ऑक्सीजन की ही कमी है ? या समस्या कुछ और है ?
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समस्या की जड़ में जाने के लिए किसी गांव में घूम आइये ।
धान का season है । चारों ओर खेतों में पानी लगा है । इसी season में धान के खेतों में Encephilitis का मच्छर पैदा होता है । वो मच्छर यदि पहले किसी सूअर को काट ले और उसके बाद किसी मनुष्य को काटे तो उसे ये JE मने जापानी encephilitis होता है । बड़े लोग और किशोर तो इसकी मार झेल जाते हैं पर chhote बच्चों और नवजात शिशुओं में ये घातक होता है ।
तुरंत Diagnose कर प्रारंभिक अवस्था मे ही यदि इलाज शुरू हो जाये तो रोगी ठीक हो जाता है ।
गांव में समस्या ये है कि पहले एक दो दिन तो मरीज के परिजनों को पता ही नही चलता कि उनका बच्चा बीमार है ।
जब बुखार तेज़ हो जाता है तो local quack मने झोला छाप Dr के पास ले जाते हैं । एक दो दिन उसके चक्कर मे खराब हो जाते हैं । तब तक बच्चा मरणासन्न हो जाता है तो लोग ले के PHC पहुंचते हैं ........ वहां से Dr उसे Referral hospital यानी BRD medical College refer कर देते हैं ।
यहां तक आते आते बच्चा Critically ill होता है ....... बहुत बहुत बीमार ......
इसीलिए BRD जैसे hospitals में मृत्यु दर इतनी ज्यादा है । कोई झोला छाप या private अस्पताल अपने यहां मरीज को मरने नही देना चाहता । कुछ दिन पैसा बना के case खराब करके चलो referral hospital ......... और referral हॉस्पिटल बेचारा तो किसी को refuse कर ही नही सकता ........ उसको तो सबको लेना ही है , चाहे कितना ही बीमार मरणासन्न क्यों न हो ?
BRD में पूर्वांचल के 10 जिले , बिहार के 10 जिले और नेपाल की तराई से मरीज आते हैं । जिनमे सबसे ज़्यादा प्रकोप नेपाल की तराई वाली paddy belt में है ।
ऐसे में आप सिर्फ med School के doctors को ही दोषी नही ठहरा सकते ।
पूरी व्यवस्था ही दोषी है । बेशक इसमे भयंकर भ्रष्टाचार भी एक पहलू है , पर अन्य systematic failures भी हैं ।
गांव में घूम के देखिये , झोला छाप डॉक्टर को आप यूँ ही नही भगा सकते । अगर वो न रहें तो आपकी पूरी स्वास्थ्य सेवा ही भहरा के बैठ जाएगी ।
फिर आखिर इसका हल क्या है ?
इसका हल China ने निकाला है । उन्होंने अपने ग्रामीण इलाकों में झोला छाप डॉक्टरों को एक basic ट्रेनिंग दे के तैयार किया ....... कुछ basic समस्याओं में यदि ये ये लक्षण हों तो ये ये दवा दे दो , ये ये जांच कर लो और इतने घंटे observe करो ....... अगर स्थिति बिगड़े और ये ये लक्षण प्रकट हों तो तुरंत एम्बुलेंस बुला के अपने इलाके के फलाने हॉस्पिटल में भेज दो .........
भारत को भी JE जैसी बीमारियों से निपटने के लिए अपने झोला छाप डॉक्टरों को ही तैयार करना पड़ेगा जिस से वो बीमारी की प्रारंभिक अवस्था मे ही बीमारी को पहचान के मरीज को सही जगह वही अस्पताल तक भेज दें ।
झोला छाप डॉक्टर को स्वास्थ्य मित्र बनाओ और अपने इलाके की स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेवार बनाओ ।
ओम प्रकाश वर्मा
अध्यक्ष टाइगर क्लब
बदला चौराहा श्रावस्ती
OM PRAKASH BHAI VERMA ,(O.P.BHAI)
PRESIDENT TIGER CLUB
9919310031
7233917570
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