समाजसेवी, युवा नेता, जिला सह संयोजक भाजपा आई टी विभाग जिला कार्यकारिणी भाजयुमो श्रावस्ती अध्यक्ष टाइगर क्लब बदला चौराहा श्रावस्ती 9919310031
Friday, 25 August 2017
आज का एक सवाल
आज समाज से एक सवाल एक तरफ़ महिला सुरक्षा, बेटियों के सम्मान चाहिए, दूसरी तरफ़ एक बलात्कारी बाबा, माफ़ करियेगा बलात्कारी हैवान के लिए ट्रेन-बस फूंकना , हिंसा करना, लोगों की जान लेना,
Sunday, 13 August 2017
पिछले 14 घंटे में , यानी रात 12 बजे से ले के दोपहर 2 बजे तक BRD Medical College में 14 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है ।
अब तो ऑक्सीजन भी है ........
पक्ष विपक्ष , सरकार , मीडिया सब वहीं Camp किये हैं ........ अस्पताल का पूरा प्रशासन , जिला प्रशासन , राज्य सरकार ....... सब कोई चाक चौबंद हैं .........
फिर भी बच्चे मर रहे हैं ?????
क्या अब भी ऑक्सीजन की ही कमी है ? या समस्या कुछ और है ?
***
समस्या की जड़ में जाने के लिए किसी गांव में घूम आइये ।
धान का season है । चारों ओर खेतों में पानी लगा है । इसी season में धान के खेतों में Encephilitis का मच्छर पैदा होता है । वो मच्छर यदि पहले किसी सूअर को काट ले और उसके बाद किसी मनुष्य को काटे तो उसे ये JE मने जापानी encephilitis होता है । बड़े लोग और किशोर तो इसकी मार झेल जाते हैं पर chhote बच्चों और नवजात शिशुओं में ये घातक होता है ।
तुरंत Diagnose कर प्रारंभिक अवस्था मे ही यदि इलाज शुरू हो जाये तो रोगी ठीक हो जाता है ।
गांव में समस्या ये है कि पहले एक दो दिन तो मरीज के परिजनों को पता ही नही चलता कि उनका बच्चा बीमार है ।
जब बुखार तेज़ हो जाता है तो local quack मने झोला छाप Dr के पास ले जाते हैं । एक दो दिन उसके चक्कर मे खराब हो जाते हैं । तब तक बच्चा मरणासन्न हो जाता है तो लोग ले के PHC पहुंचते हैं ........ वहां से Dr उसे Referral hospital यानी BRD medical College refer कर देते हैं ।
यहां तक आते आते बच्चा Critically ill होता है ....... बहुत बहुत बीमार ......
इसीलिए BRD जैसे hospitals में मृत्यु दर इतनी ज्यादा है । कोई झोला छाप या private अस्पताल अपने यहां मरीज को मरने नही देना चाहता । कुछ दिन पैसा बना के case खराब करके चलो referral hospital ......... और referral हॉस्पिटल बेचारा तो किसी को refuse कर ही नही सकता ........ उसको तो सबको लेना ही है , चाहे कितना ही बीमार मरणासन्न क्यों न हो ?
BRD में पूर्वांचल के 10 जिले , बिहार के 10 जिले और नेपाल की तराई से मरीज आते हैं । जिनमे सबसे ज़्यादा प्रकोप नेपाल की तराई वाली paddy belt में है ।
ऐसे में आप सिर्फ med School के doctors को ही दोषी नही ठहरा सकते ।
पूरी व्यवस्था ही दोषी है । बेशक इसमे भयंकर भ्रष्टाचार भी एक पहलू है , पर अन्य systematic failures भी हैं ।
गांव में घूम के देखिये , झोला छाप डॉक्टर को आप यूँ ही नही भगा सकते । अगर वो न रहें तो आपकी पूरी स्वास्थ्य सेवा ही भहरा के बैठ जाएगी ।
फिर आखिर इसका हल क्या है ?
इसका हल China ने निकाला है । उन्होंने अपने ग्रामीण इलाकों में झोला छाप डॉक्टरों को एक basic ट्रेनिंग दे के तैयार किया ....... कुछ basic समस्याओं में यदि ये ये लक्षण हों तो ये ये दवा दे दो , ये ये जांच कर लो और इतने घंटे observe करो ....... अगर स्थिति बिगड़े और ये ये लक्षण प्रकट हों तो तुरंत एम्बुलेंस बुला के अपने इलाके के फलाने हॉस्पिटल में भेज दो .........
भारत को भी JE जैसी बीमारियों से निपटने के लिए अपने झोला छाप डॉक्टरों को ही तैयार करना पड़ेगा जिस से वो बीमारी की प्रारंभिक अवस्था मे ही बीमारी को पहचान के मरीज को सही जगह वही अस्पताल तक भेज दें ।
झोला छाप डॉक्टर को स्वास्थ्य मित्र बनाओ और अपने इलाके की स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेवार बनाओ ।
ओम प्रकाश वर्मा
अध्यक्ष टाइगर क्लब
बदला चौराहा श्रावस्ती
OM PRAKASH BHAI VERMA ,(O.P.BHAI)
PRESIDENT TIGER CLUB
9919310031
7233917570
अब तो ऑक्सीजन भी है ........
पक्ष विपक्ष , सरकार , मीडिया सब वहीं Camp किये हैं ........ अस्पताल का पूरा प्रशासन , जिला प्रशासन , राज्य सरकार ....... सब कोई चाक चौबंद हैं .........
फिर भी बच्चे मर रहे हैं ?????
क्या अब भी ऑक्सीजन की ही कमी है ? या समस्या कुछ और है ?
***
समस्या की जड़ में जाने के लिए किसी गांव में घूम आइये ।
धान का season है । चारों ओर खेतों में पानी लगा है । इसी season में धान के खेतों में Encephilitis का मच्छर पैदा होता है । वो मच्छर यदि पहले किसी सूअर को काट ले और उसके बाद किसी मनुष्य को काटे तो उसे ये JE मने जापानी encephilitis होता है । बड़े लोग और किशोर तो इसकी मार झेल जाते हैं पर chhote बच्चों और नवजात शिशुओं में ये घातक होता है ।
तुरंत Diagnose कर प्रारंभिक अवस्था मे ही यदि इलाज शुरू हो जाये तो रोगी ठीक हो जाता है ।
गांव में समस्या ये है कि पहले एक दो दिन तो मरीज के परिजनों को पता ही नही चलता कि उनका बच्चा बीमार है ।
जब बुखार तेज़ हो जाता है तो local quack मने झोला छाप Dr के पास ले जाते हैं । एक दो दिन उसके चक्कर मे खराब हो जाते हैं । तब तक बच्चा मरणासन्न हो जाता है तो लोग ले के PHC पहुंचते हैं ........ वहां से Dr उसे Referral hospital यानी BRD medical College refer कर देते हैं ।
यहां तक आते आते बच्चा Critically ill होता है ....... बहुत बहुत बीमार ......
इसीलिए BRD जैसे hospitals में मृत्यु दर इतनी ज्यादा है । कोई झोला छाप या private अस्पताल अपने यहां मरीज को मरने नही देना चाहता । कुछ दिन पैसा बना के case खराब करके चलो referral hospital ......... और referral हॉस्पिटल बेचारा तो किसी को refuse कर ही नही सकता ........ उसको तो सबको लेना ही है , चाहे कितना ही बीमार मरणासन्न क्यों न हो ?
BRD में पूर्वांचल के 10 जिले , बिहार के 10 जिले और नेपाल की तराई से मरीज आते हैं । जिनमे सबसे ज़्यादा प्रकोप नेपाल की तराई वाली paddy belt में है ।
ऐसे में आप सिर्फ med School के doctors को ही दोषी नही ठहरा सकते ।
पूरी व्यवस्था ही दोषी है । बेशक इसमे भयंकर भ्रष्टाचार भी एक पहलू है , पर अन्य systematic failures भी हैं ।
गांव में घूम के देखिये , झोला छाप डॉक्टर को आप यूँ ही नही भगा सकते । अगर वो न रहें तो आपकी पूरी स्वास्थ्य सेवा ही भहरा के बैठ जाएगी ।
फिर आखिर इसका हल क्या है ?
इसका हल China ने निकाला है । उन्होंने अपने ग्रामीण इलाकों में झोला छाप डॉक्टरों को एक basic ट्रेनिंग दे के तैयार किया ....... कुछ basic समस्याओं में यदि ये ये लक्षण हों तो ये ये दवा दे दो , ये ये जांच कर लो और इतने घंटे observe करो ....... अगर स्थिति बिगड़े और ये ये लक्षण प्रकट हों तो तुरंत एम्बुलेंस बुला के अपने इलाके के फलाने हॉस्पिटल में भेज दो .........
भारत को भी JE जैसी बीमारियों से निपटने के लिए अपने झोला छाप डॉक्टरों को ही तैयार करना पड़ेगा जिस से वो बीमारी की प्रारंभिक अवस्था मे ही बीमारी को पहचान के मरीज को सही जगह वही अस्पताल तक भेज दें ।
झोला छाप डॉक्टर को स्वास्थ्य मित्र बनाओ और अपने इलाके की स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेवार बनाओ ।
ओम प्रकाश वर्मा
अध्यक्ष टाइगर क्लब
बदला चौराहा श्रावस्ती
OM PRAKASH BHAI VERMA ,(O.P.BHAI)
PRESIDENT TIGER CLUB
9919310031
7233917570
Saturday, 12 August 2017
Thursday, 10 August 2017
मैं हूँ इंसान और इंसानियत का मान करता हूँ,
किसी की टूटती सांसों में हो फिर से नया जीवन
मैं बस यह जानकर अक्सर 'लहू' का दान करता हूँ !!
आज एक बार पुनः देश के लिए रक्त दान करने का मौका मिला...जिला अस्पताल श्रावस्ती में रक्त दान करते हुए...
समाजसेवी
OM PRAKASH VERMA O.P.BHAI
अध्यक्ष #TIGER CLUB 991931
0031
सौजन्य से- मेरी बहन प्रगति श्रीवास्तव के फेसबुक एकाउंट से
Pragati Shrivastav
हम आम लङकियो की बात ही क्या है किसी पर आए संकट के वक्त में उसको छोड़ अपनी खाल बचाने में उस्ताद!
छिपकली या कॉकरोच से डरना तो हमारा जरूरी फैशन है.. और विशेष परिस्थिती मे चक्कर आना हमारे लिए एक गहने की तरह है...जैसे समय पर खाना नहीं खाया तो चक्कर..थोड़ी सी दौड़-धूप कर ली तो चक्कर..ज़रा सा खून निकल आया तो चक्कर..किसी और की चोट देख ली तो चक्कर..मतलब कभी भी चक्कर खाकर बेहोश होकर टपकने को तैयार रहती है.. मेरी कुछ सहेलियाँ उनकी पड़ोसिनें और मम्मियाँ इतने चक्कर खाती हैं कि कनपटी पर दो लगाकर पूछने का मन करता है "बे नौटंकियों! इत्ते चक्कर लाते कहाँ से हो रे?"फिर काफी मगजमारी करने पर जवाब मिला कि हर 2 डायलॉग में चक्कर खाती डेली सोप की कमसिन हिरोइनो से मिलता है ये टैलेंट और आपस में कॉम्पिटिशन चलता है डरने का चक्कर खाने का!..कभी भीड़ से दूर बैठकर जरा गौर से देखिएगा इन बालाओं को..किसी से कोई मतलब नही अपनी गिटपिट में मगन या फोन पर टंगी हुई अपने लिए जगह पाने की कोशिश में'तेजतर्रार' बनती हुईं किसी पर "ओ भैया लेडीज है दिखता नहीं क्या?उठो!" कहकर खीजती हुई सीट पाती हैं और फिर अपनी दुनिया में खो जाती हैं..गुरू! अब बस में या ट्रेन मे कोई छोटे बच्चे वाली,बुजुर्ग दादी या इनके दादाजी की उम्र का अधेड़ जैसे-तैसे खड़ा हो इनकी बला से इनको क्या...ऐसी महान महिलाओ से क्या उम्मिद करे किसी और को या अपने आप को बचाने की?अरे हाँ!सबसे बड़ी खूबी तो रह ही गई 'आज की हम सशक्त आधुनिकाओं' की वो ये कि सिधे साधे से दिखते पुरुषों पर हक से धौंस जमाती हैं लताङती हैं पर जैसे ही कोई छिछोरा बदमाश दिखता है मिमियाने लगती हैं,हमारी सारी हेकड़ी निकल जाती है बेबस नजरो से मदद ढूढने लगती हैं या चुपचाप रास्ता बदल लेती हैं तब गले से आवाज़ ही नहीं निकलती क्योकि हमारी हिम्मत केवल अपनों से या शरीफों से वह भी फ़क़त अपने लिए लड़ने तक सीमित है और जहाँ तकलीफ़ या चोट लगने कि उम्मिद हो या खतरा हो कोई भी रिस्क हो वहाँ पुरुषों को मदद के लिए जाना चाहिए हम तो नहीं जाएंगी!
एक लड़की होने के नाते हमे अफसोस है कि हम लड़कियाँ देश के नागरिकों के तौर पर निहायत ही गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करती हैं शायद हमारे भेजे में यह परिकल्पना कभी डाली ही नहीं जाती कि 'मैं और मेरा परिवार' से इतर भी हमारे कुछ दायित्व हैं। :(
#अनुभव
#क्षमासहित
Pragati Shrivastav
हम आम लङकियो की बात ही क्या है किसी पर आए संकट के वक्त में उसको छोड़ अपनी खाल बचाने में उस्ताद!
छिपकली या कॉकरोच से डरना तो हमारा जरूरी फैशन है.. और विशेष परिस्थिती मे चक्कर आना हमारे लिए एक गहने की तरह है...जैसे समय पर खाना नहीं खाया तो चक्कर..थोड़ी सी दौड़-धूप कर ली तो चक्कर..ज़रा सा खून निकल आया तो चक्कर..किसी और की चोट देख ली तो चक्कर..मतलब कभी भी चक्कर खाकर बेहोश होकर टपकने को तैयार रहती है.. मेरी कुछ सहेलियाँ उनकी पड़ोसिनें और मम्मियाँ इतने चक्कर खाती हैं कि कनपटी पर दो लगाकर पूछने का मन करता है "बे नौटंकियों! इत्ते चक्कर लाते कहाँ से हो रे?"फिर काफी मगजमारी करने पर जवाब मिला कि हर 2 डायलॉग में चक्कर खाती डेली सोप की कमसिन हिरोइनो से मिलता है ये टैलेंट और आपस में कॉम्पिटिशन चलता है डरने का चक्कर खाने का!..कभी भीड़ से दूर बैठकर जरा गौर से देखिएगा इन बालाओं को..किसी से कोई मतलब नही अपनी गिटपिट में मगन या फोन पर टंगी हुई अपने लिए जगह पाने की कोशिश में'तेजतर्रार' बनती हुईं किसी पर "ओ भैया लेडीज है दिखता नहीं क्या?उठो!" कहकर खीजती हुई सीट पाती हैं और फिर अपनी दुनिया में खो जाती हैं..गुरू! अब बस में या ट्रेन मे कोई छोटे बच्चे वाली,बुजुर्ग दादी या इनके दादाजी की उम्र का अधेड़ जैसे-तैसे खड़ा हो इनकी बला से इनको क्या...ऐसी महान महिलाओ से क्या उम्मिद करे किसी और को या अपने आप को बचाने की?अरे हाँ!सबसे बड़ी खूबी तो रह ही गई 'आज की हम सशक्त आधुनिकाओं' की वो ये कि सिधे साधे से दिखते पुरुषों पर हक से धौंस जमाती हैं लताङती हैं पर जैसे ही कोई छिछोरा बदमाश दिखता है मिमियाने लगती हैं,हमारी सारी हेकड़ी निकल जाती है बेबस नजरो से मदद ढूढने लगती हैं या चुपचाप रास्ता बदल लेती हैं तब गले से आवाज़ ही नहीं निकलती क्योकि हमारी हिम्मत केवल अपनों से या शरीफों से वह भी फ़क़त अपने लिए लड़ने तक सीमित है और जहाँ तकलीफ़ या चोट लगने कि उम्मिद हो या खतरा हो कोई भी रिस्क हो वहाँ पुरुषों को मदद के लिए जाना चाहिए हम तो नहीं जाएंगी!
एक लड़की होने के नाते हमे अफसोस है कि हम लड़कियाँ देश के नागरिकों के तौर पर निहायत ही गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करती हैं शायद हमारे भेजे में यह परिकल्पना कभी डाली ही नहीं जाती कि 'मैं और मेरा परिवार' से इतर भी हमारे कुछ दायित्व हैं। :(
#अनुभव
#क्षमासहित
Sunday, 6 August 2017
बेसहारों का सहारा...
देश और दोस्त के लिए जान दे नही सकता पर जान ले जरूर सकता हूँ..
मै दिलो में बसता हूँ https://m.facebook.com/OMPRAKASHVERMA.UP?
Friday, 4 August 2017
9919310031 ओम प्रकाश वर्मा
मना लूंगा तुम रूठ कर देख लो...
जोड़ लूंगा तुम्हे टूट कर देख लो...हूँ तो नादान फिर भी इतना नही...
थाम लूंगा तुन्हें छूट कर देख लो...
I MISS YOU MY ALL FRIENDS.......
बड़ी याद आती दोस्तों तुम्हारी...
OM PRAKASH VERMA O.P.BHAI
#9919310031
OM PRAKASH BHAI VERMA: अध्यक्ष- TIGER CLUB (NGO). # ROJGAR SOLUTION PVT. ...
OM PRAKASH BHAI VERMA: अध्यक्ष- TIGER CLUB (NGO). # ROJGAR SOLUTION PVT. ...: अध्यक्ष- TIGER CLUB (NGO). # ROJGAR SOLUTION PVT. LTD #कार्यकरणी सदस्य - गौ सेवा समिति #अध्यक्ष कुर्मी कल्याण समिति एवं पटेल नवनिर्माण सेना...
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